दशहरा की तिथि को लेकर है असमंजस, जानें 25 या 26 किस दिन होगी विजयदशमी

आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ‘विजयदशमी’ का त्योहार मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। इस दिन अपना कोई खास काम करने से आपकी जीत सुनिश्चित होती है। इसके अलावा इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का भी वध किया था। इस बार दशहरा की तिथि को लेकर लोगों के मन में थोड़ा सा असमंजस है। जानिए किस दिन मनाया जाएगा दशहरा।

कब है दशहरा?
शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। इसके साथ ही इस साल दशमी तिथि 26 अक्टूबर की सुबह तरक पड़ रही हैं। लेकिन दशहरा 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल को दशहरा का पव मनाया जाता है। इस काल की अवधि सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक होती है। ऐसे में अगर दशमी 2 दिन के अपराह्न काल नहीं हैं तो दशहरा का त्योहार पहले दिन मनाया जाएगा। वगीं अगर दूसरे दिन भी अपराह्न काल हैं तो दशहरा दूसरे दिन मनाया जाएगा।

इसी कारण इस बार 25 अक्टूबर को नवमी सुबह 7 बजकर 41 तक ही रहेगी। जिसके बाद दशमी शुरू हो जाएग जोकि 26 अक्टूबर को सुबह 9 बजे तक ही रहेगी। जिसके चलते दशहरा 25 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। वहीं दुर्गा विसर्जन 26 अक्टूबर को किया जाएगा।

दशहरा का महत्व
यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया।

चूंकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिए उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया। माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है।

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