22 गज़ के मकान का 77.24 लाख का थमाया बिज़ली का बिल, बिल जमा करने की समय सीमा भी 3 दिन

­फरीदाबाद के सराय ख्वाजा इलाके में बिजली विभाग की लापरवाही के चलते 22 गज़ के मकान का 7724327 रुपये का बिल थमा दिया गया है. अभी मामला यही नहीं थमा कि बिजली के बिल की रकम जमा करने का समय भी मात्र तीन दिन दिया गया है. मकान पर बिल आने के बाद घर के मालिक और उसके परिवार के लोगो में हड़कम मचा हुआ है.

मकान मालिक सुमित कुमार के मुताबिक बिजली का बिल भी मंगलवार को दिया गया. जबकि बिल जारी करने की तारीख चौदह नवम्बर दी गयी है. मकान मालिक ने बताया है कि महीने के हिसाब से तीन-चार हज़ार रुपये ही बिल आता है. लेकिन इस बार इतना बिल कैसे दे दिया गया. जबकि अब तो सर्दी का मौसम आने वाला है घर में न तो पंखा चल रहा और न ही कूलर. साथ ही उन्होंने कहा है कि बिजली के बिल को लेकर वह विभाग के अधिकारी से मिले जिसके बाद उन्होंने बिल सही करने की बात कही है.

 

वही इस मामले में हरियाणा कर्मचारी संघ के नेता सुनील खटाना के मुताबिक जब से बिजली रीडिंग का काम प्राइवेट लोगो के हाथो में दिया गया है न तो बिजली के बिल सही आ रहे और ना ही उपभोक्ताओ को बिल समय से मिल रहे है. इस मामले में कई बार संघ ने सरकार को अवगत कराया है लेकिन सरकार के कानों में ज़ू तक नहीं रेंगती. बिजली के बिल गलत आने के चलते कई बार पक्के कर्मचारियों को भी खामियाज़ा उठाना पड़ता है. साथ ही कर्मचारी संघ भी ऐसे गलत बिल में हो रही लापरवाही का पुरजोर विरोध करते हुए ऐसे लापरवाह कर्मचारियों पर भी कार्यवाही की मांग करता है.

आपको बता दे कि पिछले महीने ही जिले के सूर्या नगर भाग-दो, सेक्टर 91 में भी एक सेना के अधिकारी के घर भी बिजली विभाग ने पांच लाख का बिल थमाया था , जिसके चलते सेना के अधिकारी को छुट्टी लेकर घर आना पड़ा और अपना बिल सही कराने के लिए विभाग के चक्कर काटने पड़े थे. लेकिन खबर है किअभी तक सेना के अधिकारी का बिल सही नहीं हुआ है. उन्हें विभाग की ओर से सांत्वना दी गयी है की आगामी बिजली के बिल में सुधार करके नया बिल भेज दिया जायेगा…

सवाल यह उठता है कि आये दिन फरीदाबाद में बिजली के बिल इतने ज़्यादा भेज दिए जाते है जिसके चलते घर के मालिक को कई दिन तक विभाग के चक्कर काटने पड़ते है जबकि इस कार्य में घर के मालिक की कोई गलती भी नहीं रहती है. विभाग की गलती को विभाग से ही सही कराने के लिए एक आम आदमी को अपनी नौकरी-रोज़गार को छोड़ कर विभाग की जी हज़ूरी करने पर मज़बूर होना पड़ता है. उसमे भी गलत बिल सही होगा इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होगी. इस दौरान एक आम आदमी को व्यवसायिक, मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है वह अलग है. लेकिन विभाग के कर्मचारियों पर कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है. यह बहुत ही शर्मनाक है .

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