तिहाड़ में तांडव: एक मोबाइल की खातिर अपनी ही जेल में जान आफत में डालने की Inside Story

कभी एशिया की सबसे सुरक्षित मगर अब सबसे बदनाम तिहाड़ जेल में बुधवार को, अपनी ही जेल में स्टाफ को जान बचाने के लाले पड़ गए. सिर्फ और सिर्फ एक अदद कैदियों की बैरक से मोबाइल और एक नुकीला सुआ (पेंचकसनुमा धारदार नुकीला हथियार) छीनने की जद्दोजहद में. मोबाइल रिकवरी के लिए कैदियों की जेल-बैरक बैरक में पहुंचा जेल स्टाफ जब, बदमाशों की भीड़ के बीच बुरी तरह फंस गया तो, आपात स्थिति को भांपकर, तुरंत मौके पर अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजा गया. तब जेल बैरक में खूंखार कैदियों के बीच फंसे ‘अपनों’ को जेल स्टाफ सुरक्षित निकाल कर बाहर ला सका.

उधर कानूनी रूप से पासा पलटता और अपना पलड़ा कमजोर पड़ता देख, जेल स्टाफ के ऊपर हमलावर हो रहे बदमाशों ने, खुद ही खुद को लहूलुहान कर डाला. इस षडयंत्र में 20 कैदी जख्मी हो गए. जिनमें से चार की हालत गंभीर है. उन्हें जेल परिसर में मौजूद अस्पताल के बाहर उच्च स्तरीय इलाज के लिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में दाखिल कराया है. गंभीर और दिलचस्प यानी दोनो ही बात यह हैं कि, इतना खून-खराबा होने के बाद कैदियों के पास मौजूद वो एक अदद मोबाइल फोन और, एक सूआ (नुकीला हथियार) हथियाने में तीन घंटे का वक्त लग गया.

जान बची तो लाखों पाए…
बहरहाल, जान बची तो लाखों पाए….वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए जेल स्टाफ ने अपनों की जान अपनी ही जेल में बंद बदमाशों से बचाकर राहत का सांस ली. इन तमाम तथ्यों की पुष्टि दिल्ली जेल महानिदेशालय ने गुरुवार को टीवी9 से की, घटनाक्रम के मुताबिक, यह दुस्साहसिक घटना बुधवार रात के वक्त तिहाड़ जेल नंबर 8-9 में हुई. जहां कुछ दिन पहले ही जेल बैरक के अंदर ही घेरकर कत्ल कर डाला गया था, दिल्ली का खूंखार गैंगस्टर सुनील मान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया जेल महानिदेशालय के मुताबिक, घटना वाली शाम जेल नंबर 8-9 में कैदियों के पास कीपैड मोबाइल फोन मौजूद होने की खबर मिली थी.

CCTV ने किया राजफाश
यह बात पकड़ी थी जेल में मौजूद सीसीटीवी कंट्रोल रुम ने. जानकारी चूंकि पक्की थी लिहाजा तुरंत संबंधित कैदियों वाली जेल सेल-बैरक में छापा मारने जेल स्टाफ पहुंच गया. वहां जैसे ही जेल स्टाफ की टीम ने छापा मारा. तो एक मोबाइल फोन मय चार्जर व सिम के रखा मिल गया. जेल टीम ने कैदियों से जैसे ही वो तीनों चीजें (मोबाइल फोन, सिम और चार्जर) लेने की कोशिश की, वैसे ही जेल टीम को बैरक के अंदर की कैदियों-बदमाशों के झुंड ने चारों ओर से घेरकर बंधक बना लिया. बदमाशों का झुंड मोबाइल जेल स्टाफ की टीम को हैंडओवर न करने पर अड़ गया.

लिहाजा जब जेल स्टाफ ने कैदियों की बैरक में अपनी ही जेल के भीतर खुद को मौत के मुंह में फंसा देखा तो, किसी तरह से जेल प्रशासन ने अपने कंट्रोल रूम को सूचित किया. जेल स्टाफ को चारों ओर से घेरे खड़े मगर बदमाश और भी ज्यादा चतुर निकले, उन्होंने किसी तरह से इस बवाल की खबर जेल से बाहर अपने परिजनों तक पहुंचा दी. परिजनों ने तत्काल दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी कि, तिहाड़ जेल नंबर 8-9 में बंद उनके अपनों के ऊपर जेल स्टाफ ने हमला बोल दिया है.

घंटों खून-खराबे के बाद 1 मोबाइल जब्त
यह सब होते-करते रात के करीब साढ़े दस बज गए. इन 4-5 घंटों के दौरान और मौके पर पुलिस के पहुंचने से पहले ही, बदमाशों ने ताड़ लिया था कि अब कानूनी तौर पर पासा उलटा पड़ने वाला है. लिहाजा उन्होंने अपने बचाव में और जेल स्टाफ को फांसने की नियत से, खुद ही खुद के ऊपर हमला करके लहू-लुहान कर डाला. ताकि पुलिस के पहुंचने पर ऐसा लगे कि, वास्तव में जेल बैरक-सेल के भीतर जेल स्टाफ की टीमों ने कैदियों को घेरकर हमला बोला है. खुद को खुद ही जख्मी करने के षडयंत्र में 20 कैदी लहू-लुहान हो चुके थे. उन सबको जेल अस्पताल में दाखिल कराया गया.

तिहाड़ का तिलिस्म तोड़ता सच
जबकि इनमें से 4 की हालत गंभीर होने के चलते उन्हें तत्काल डीडीयू हॉस्पिटल में इलाज के लिए दाखिल कराया गया. शाम करीब साढ़े पांच बजे शुरु हुआ यह खतरनाक खूनी षडयंत्र रात करीब साढ़े दस बजे जाकर खत्म हो सका. यानी अपनी ही जेल में जेल स्टाफ को जान के लाले पड़े सो तो पड़े ही. साथ ही साथ एक कैदियों के कब्जे से महज एक अदद मोबाइल हथियाने में भी, जेल टीमों को 4-5 घंटे का वक्त लग गया. उस तिहाड़ जेल में जिसे दुनिया की कभी सबसे खतरनाक-सुरक्षित और मजबूत जेल कहा जाता था. यह इनसाइड स्टोरी है उस तिहाड़ जेल की जहां कहते हैं कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है.

तिलिस्मी तिहाड़ में हर तमाशा संभव
यह कड़वा सच है उस तिहाड़ जेल के भीतर का जिसके नाम से कभी दुनिया भर के बदमाशों-अपराधियों को उड़ जाया करते थे तोते. यह शर्मनाक सच है उस तिहाड़ जेल का जहां के पूर्व डीजी संदीप गोयल ही कई महीने से सस्पेंड हुए पड़े हैं. करोड़ों रुपए की कथित रिश्वतखोरी के आरोप में. यह घटना है उस तिहाड़ जेल के तिलिस्म को तोड़ने की जहां, बंद कैदियों को भले ही बाहर की हवा तक नसीब न होती हो. मगर यहां बंद 200 करोड़ की ठगी का मास्टरमाइंड सुकेश चंद्रशेखर आएदिन एक नई मुसीबत खड़ी किए रहता है, हुकूमत और हुक्मरानों की.

यह हकीकत है उस तिहाड़ जेल के भीतर की जहां आएदिन होते रहते हैं कत्ल-ए-आम. यह डरावनी या खौफनाक सच्चाई है उस तिहाड़ जेल की जो आज, दुनिया की चंद भ्रष्टतम जेलों की फेहरिस्त में है शुमार. यह सच्ची कहानी है उस तिहाड़ जेल की जहां भले ही परिंदा पर न मार सके मगर, मोबाइल से लेकर ड्रग सप्लाई तक सब कुछ संभव है आसानी से. और यह कड़ुवा व शर्मसार करने वाला सच है उसी बदनाम तिहाड़ जेल के भीतर का, जहां कथित रूप से पूर्व में अक्सर ‘लड़कियां’ तक अंदर पहुंच जाने की खबरें बनती रही हैं सुर्खियां.

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